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समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
बिहार की IAS हरजोत कौर और लखनऊ की IAS रोशन जैकब, दोनों के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर है
सैनिटरी पैड के सवाल पर बच्ची को उल्टा जवाब देने वाली बिहार की आईएएस हरजोत कौर भामरा (IAS Harjot kaur) और घायल बच्चे को देखकर आंसू बहाने वाली लखनऊ की आईएएस रोशन जैकब (IAS Roshan jacob)...दोनों महिलाएं हैं और दोनों अधिकारी हैं मगर दोनों के आचरण में जमीन-आसमान का अंतर है...
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
कितना महंगा है आदमी के मुकाबले औरत होना
महिलाओं के कपड़ों और जूलरी को अगर विलासिता की श्रेणी में रखा जाए तो भी महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी देखभाल से जुड़े उत्पाद हों या उनके सौंदर्य से जुड़े, यहां तक कि उनके गर्भनिरोधक भी पुरुषों की तुलना में काफी महंगे हैं.
सोशल मीडिया
| 4-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
पीरियड्स के दिनों में गरीब महिलाओं की हकीकत तरक्की के दावों को खोखला साबित करती है
एक महिला ने जब अपनी कामवाली बाई के पीरियड की सच्चाई ट्विटर पर बताई तो इस दिशा में हो रहे सभी सरकारी दावों की पोल खुल गई.
सिनेमा
| 4-मिनट में पढ़ें
मनीष जैसल
@jaisal123
ऐसा प्रॉमिस, जो कभी पूरा न हो! सुन तो लीजिये क्या कहते हैं फिल्मी गीत
प्रॉमिस की बातें केवल वैलेंटाइन वीक तक सीमित नहीं हैं. यदि बॉलीवुड को देखें तो मिलता है कि प्रॉमिस करना लम्बे समय से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहा है.
सिनेमा
| 3-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ हुसैन
@siddharth.hussain
सिनेमा हॉल से निकलकर एक ही सवाल मन में था : पैडमैन फिल्म है या मुद्दा ?
'पैडमैन' को आम जनता कितना अपनाएगी, ये तो जल्द पता चल ही जाएगा, लेकिन फिल्म अच्छी है. अक्षय कुमार के दोस्तों ने भी इस मुद्दे को बेबाकी से प्रमोट किया है, ताकि आम लोगों की झिझक दूर हो.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
प्रियंका ओम
@priyanka.om
सैनिटरी पैड और फिल्म स्टार्स का प्रोमोशन
पीरियड्स अन्य नैचुरल कॉल की तरह ही है! बाक़ी चीज़ें रोज़ होती हैं पीरियड महीने में एक बार, फिर इसमें इतनी छुपा छुपी क्यूं? सैनिटेरी पैड खरीदने में इतनी शर्म क्यूं? मेंस्ट्रूअल साइकल और पैड ख़रीदना कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि गर्व की बात है.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
अमित अरोड़ा
@amit.arora.986
सैनिटरी नैपकिन की कहानी सिर्फ पैडमैन तक ही सीमित नहीं, एक फिल्म इस पहलू पर भी बननी चाहिए..
महिला स्वास्थ्य और स्वच्छता एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है, परंतु पर्यावरण की रक्षा भी अनिवार्य है. ऐसे में व्यावसायिक रूप से तैयार किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिनों की जगह पर्यावरण के अनुकूल, बायो-डिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
संध्या द्विवेदी
@sandhya.dwivedi.961
खून का रंग लाल ही होता है...समझ तो आया!
थैंक गॉड ये देर से ही सही, मगर समझ तो आया कि पीरियड का खून भी लाल ही होता है. उम्मीद जगी है कि दूसरी कंपनियां भी ऐसा साहस करेंगी और अपनी हिचकिचाहट तोड़ेंगी.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
स्कॉटलैंड से कुछ सीखिए मोदी जी !
शायद भारत के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ये नहीं जानते हैं कि भारत की महिलाएं सिंदूर, बिंदी, चूड़ी के बिना तो एक महीना बिता सकती हैं लेकिन पीरियड्स के दौरान पैड्स के बिना नहीं.